प्रकाश का तरंग सिद्धांत | Wave theory of light In Hindi
17 वी शताब्दी के अंत में वैज्ञानिक में मतभेद था कि प्रकाश की प्रकृति क्या है ? कुछ वैज्ञानिक प्रकाश को कण तो कुछ प्रकाश को तरंग सिद्ध करने के लिए प्रयासरत थे।
- इन्हीं में से एक डच वैज्ञानिक क्रिस्टियान ह्यूजेंस का मानना था कि प्रकाश तरंगो ( Wave theory of light In Hindi ) से बना है। प्रकाश तरंगे, तरंग संचरण की दिशा के लंबवत ऊपर-नीचे कंपन करती है। इसी पक्ष में उन्होंने एक सिद्धांत दिया दिया जिसे ‘ ह्यूगेन्स सिद्धांत ‘ ( Higens ka tarang siddhant ) के नाम से जाना जाता है।
आइजैक न्यूटन और क्रिस्टियान हाइगेन्स के प्रकाश से सम्बंधित विचार
सर आइजैक न्यूटन मानते थे,प्रकाश कणों से बना है । लेकिन डच भौतिक वैज्ञानिक क्रिस्टियान हाइगेन्स मानते थे कि प्रकाश तरंगों ( Huygens wave theory / Wave theory of light In Hindi ) से बना है| यह तरंगे प्रसार की दिशा के लंबवत दिशा में ऊपर और नीचे कंपन करती हैं।
इसके आधार पर, उन्होंने तरंग के प्रसार को देखने का एक तरीका निकाला, जिसे हाइगेन्स के सिद्धांत ( Higens ka tarang siddhant ) के रूप में जाना गया। हाइगेन्स द्वारा दिये गये इस प्रकाश के तरंग सिद्धांत ( Wave theory of light In Hindi ) ने प्रकाश की प्रकृति की सही व्याख्या की और आज विज्ञान इसे प्रकाशिकी की रीढ़ मानता है।
भौतिक प्रकाशिकी( Physical Optics In Hindi )
भौतिक प्रकाशिकी (physical optics) विज्ञान की ऐसी शाखा होती है जिसमे प्रकाश का विवर्तन, व्यतिकरण तथा अन्य घटनाओं के बारे में अध्ययन किया जाता है। यह प्रकाश के तरंग(wave) स्वरूप को बताती है। इसलिए इन्हे तरंग प्रकाशिकी(physical optics) भी कहते हैं।
हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त ( Huygens wave theory in hindi / Wave theory of light In Hindi ) –
- प्रकाश के तरंग-सिद्धान्त का प्रतिपादन हाइगेन्स ने सन् 1678 ई. में किया था। हाइगेन्स के इस सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश तरंगों के रूप में चलता है। और ये तरंगें प्रकाश-स्रोत से निकलकर सभी दिशाओं में प्रकाश की चाल से चलती हैं।
- हाइगेन्स ने प्रकाश के तरंग सिद्धांत में बताया तह कि प्रकाश एक तरंग है, क्योंकि यह ध्वनि तरंगों की तरह एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाते समय मुड़ती है।
- यह ध्वनि तरंगों की तरह , एक माध्यम से दूसरे माध्यम में यात्रा करते समय अपवर्तित या मुड़ सकता है, तथा चमकदार सतहों से परावर्तित हो सकता है।
- हाइगेन्स ने 1678 में, सुझाव दिया कि प्रत्येक बिंदु जिस पर प्रकाशमान विक्षोभ (luminous disturbance) मिलेगा, वह गोलाकार तरंग का स्रोत बन जाएगा। तथा इस विक्षोभ से उत्पन्न होने वाली द्वितीयक तरंगों(second waves) निर्धारित करेगी कि नई तरंग कैसी होंगी। प्रकाश के इस सिद्धांत को ही हाइगेन्स का सिद्धांत ( Higens ka tarang siddhant ) कहा जाता है ।
- चूँकि इन तरंगों को चलने के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता होती है, अत: हाइगेन्स ने एक सर्वव्यापी माध्यम ‘ईथर‘ (ether) की कल्पना की।
- यह काल्पनिक माध्यम भारहीन होता है तथा सभी पदार्थों में प्रवेश कर सकता है इसमें प्रकाश-तरंग के संचरण के लिए आवश्यक सभी गुण पाए जाते हैं। इस माध्यम का घनत्व बहुत कम माना गया है।
- हाइगेन्स के इस सिद्धांत ने प्रकाश के अपवर्तन और परावर्तन के नियमों को समझाया ।
- इन्होंने अपने सिद्धांत का उपयोग करके प्रकाश के रैखिक और गोलाकार प्रसार दोनों को समझाया।
- लेकिन, वे प्रकाश के विवर्तन प्रभावों का वर्णन करने में असमर्थ रहे।
- 1803 में थॉमस यंग द्वारा प्रकाश के व्यतिकरण पर किए गए प्रयोग ने हाइगेन्स का प्रकाश का तरंग सिद्धांत सही साबित कर दिया।
- 1815 में फ्रेस्नेल ने यंग के इस प्रयोग के लिए गणितीय समीकरण प्रदान किए।
प्रकाश ऊर्जा का ही एक रूप है| जब प्रकाश किसी वस्तु से परावर्तित होकर हमारी आँखों पर गिरता है तो इस प्रकाश के परावर्तन की इस घटना के कारण हमें वह वस्तु दिखाई देती है|
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश किसी वस्तु परावर्तित होकर हमारी आंख में पहुँचता है और आंखों के रेटिना पर एक दृष्टि सवेंदना उत्पन्न करता है जिसके कारण हमें वह वस्तु दिखाई देने लगती है|
प्रकाश से सम्बंधित कुछ सिद्धांत Theories of light in Hind –
–प्रकाश की विद्युतचुंबकीय प्रकृति ( The electromagnetic theory of light )
- मैक्सवेल ने सुझाव दिया कि प्रकाश विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र के दोलनों के रूप में फैलता है, जिन्हें विद्युतचुंबकीय तरंगें (अनुप्रस्थ तरंगें) कहा जाता है।
- उन्हें प्रसार के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
प्रकाश का क्वांटम सिद्धांत ( Quantum Theory of Light )
- प्रकाश से सम्बंधित एक अन्य सिद्धांत है क्वांटम सिद्धांत।
- इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश की ऊर्जा आवृत्ति के समानुपाती होती है, और उन्हें जोड़ने वाला स्थिरांक प्लैंक स्थिरांक (h) कहलाता है।
- E= hf, जहाँ h प्लैंक स्थिरांक 6.63×10^ -34
- अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस सिद्धांत का उपयोग करके प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या की थी, जिसमें यह निर्धारित किया गया था कि प्रकाश ऊर्जा के छोटे पैकेटों में यात्रा करता है, जिन्हें फोटॉन कहा जाता है।
प्रकाश की दोहरी प्रकृति Dual Nature of Light
- प्रकाश से सम्बंधित एक अन्य सिद्धांत के अनुसार ये कहा गया कि प्रकाश की दोहरी प्रकृति होती हैं।
- डी ब्रोगली ने सुझाव दिया कि प्रकाश की दोहरी प्रकृति होती है, यानी यह तरंगों के साथ-साथ कणों के रूप में भी व्यवहार कर सकता है।
- व्यतिकरण, विवर्तन और ध्रुवीकरण जैसी घटनाओं में प्रकाश तरंग की तरह व्यवहार करता है, जबकि फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव में यह कण के रूप में कार्य करता है।
प्रकाश के तरंग सिद्धांत
रॉबर्ट हुक ने रंगों की उत्पत्ति को समझाने के लिए पल्स सिद्धांत विकसित किया। जिसमें उन्होंने प्रकाश के फैलाव की तुलना पानी की तरंगों से की और अवलोकनों के आधार पर एक सिद्धांत विकसित किया। उसके बाद हाइगेन्स ने वर्ष 1678 में प्रकाश का गणितीय तरंग सिद्धांत बनाया|
प्रकाश की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- प्रकाश की गति निश्चित होती है, अर्थात् प्रकाश की गति कभी भी अपने आप नहीं बदलती।
- प्रकाश तरंगें 3.0 x 10 ^ 8 मीटर/सेकंड की गति से यात्रा करती हैं ।
- प्रकाश की तीव्रता उसके आयाम के अनुपातिक होती हैं और यह दूरी और स्रोत द्वारा उत्पन्न प्रकाश की मात्रा पर निर्भर करता है।
- प्रकाश को ल्यूमेन में मापा जाता है।
- प्रकाश तरंगों की तरंगदैर्घ्य अवरक्त तरंगों से छोटी होती है।
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